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राजनीति या बाज़ार? जब नेतागिरी बन गई एक बिज़नेस मॉडल

🔥 परिचय: नेतागिरी का असली चेहरा

आजकल के नेताओं को आप लोग नेता मानते हो ? मैं तो नही मानता इसके पीछे काफी कारण हैं एक एक करके उन सभी कारणों पर बात करेंगे । मैं ये आर्टिकल आज की राजनीति पर लिखना चाहता हूँ । ये मेरे व्यक्तिगत विचार हैं। मैं किसी पोलिटिकल पार्टी से जुडा व्यक्ति नही हूँ पहले ही साफ कर दू नही तो लोगों को लगेगा की किसी पार्टी का propaganda चलाने यहाँ आ गया । 

🧨 1. क्या अब राजनीति धंधा बन चुकी है?

भाई इसमे तो कोई शक नही की अब राजनीति एक धंधा बन चुकी हैं । करोड़ों करोड़ रुपया खर्च होता हैं हर इलेक्शन में यहाँ तक की छोटे से छोटे इलेक्शन में भी नदी की तरह पैसा बहाया जाता हैं हर चुनाव में । कहाँ से आता हैं इतना पैसा ? कभी सोच हैं आपने । 

आपके इलाके का उमीदवार जब चुनाव प्रचार करता हैं आपके इलाके में वोट मांगने आता हैं तब आप क्या इस बात को ध्यान में रखते हो की यार लगता तो सीधा साधा सा हैं इसका कोई इतना मोटा काम धंधा भी नही हैं तो फिर इतना पैसा चुनाव प्रचार में यह लगा कैसा रहा हैं ? मैं ये दावे से कह सकता हूँ की  99% लोग ऐसा नही सोचते । 

एक MLC का चुनाव लड़ने वाला उमीदवार भी 10 से 15 करोड़ आराम से लगा देता हैं । आखिर मैं सोचता हूँ की क्यों जरूरत पडती हैं इनको इतना पैसा लगाने की ? ये बताने के लिए की आम जनता को किस पार्टी को वोट देना हैं और वो भी सिर्फ 2 महीने के लिए बाद में सब गायब हो जाते हैं . अगर यही नेता लोग अपने अपने इलाके में अच्छे से काम करें लोगों की समस्याओं का समाधान करें , विकास का काम करें सिर्फ विकास की बातें न करे चुनावी भाषणों में तो आम जनता हँस कर हाथ जोड़कर वोट तुम्हें देकर आएगी । अभी तो नेता लोग हाथ जोड़कर वोट मांगने आते हैं और फिर गायब हो जाते हैं । 

करोड़ों रुपया इसलिए लगाया जाता हैं चुनाव में क्योंकि जितने के बाद 5 साल तक खूब कमाने को जो मिलता हैं । ठेके मिलने का फायदा , कही कन्स्ट्रक्शन का काम चल रहा हैं तो वहाँ से कमिशन बनने का फायदा , किसी की नौकरी लगवाकर देनी हो तो उसमे भी कमाई । भाई चारों तरफ से पैसा ही पैसा बरसता हैं । चुनाव प्रचार में कुछ करोड़ लगा दिए ये तो ऊँट के मुँह में जीरे के बराबर हैं । 

रिश्तेदार भी फायदा उठाने आ जाते हैं भाई अब तो नेता बन गए हो हमारा फलाना फलाना काम कर दो । टिकटें कितने लाखों करोड़ों में बेची जाती हैं सब जानते हैं । काम करने वाले बंदे के पास पैसा नही हैं तो उसे टिकट नही मिलेगी लेकिन एक पैसा वाला निकम्मा नकारा व्यक्ति चुनावी उमीदवार बन जाता हैं । 

मैंने तो यहाँ तक सुना हैं की एक mlc मकान का एक लेंटर डलवाने के लिए 5 से 10 लाख रुपए लेता हैं . अब सोचो ये mlc 5 साल तक रहेगा तो कितना माल बटोर लेगा और उसी माल में से विकास के कामों पर कितना खर्चा करेगा ? 

अब जनता को थोडा जागरूक हो जाना चाहिए और वोट देते समय ध्यान रखना चाहिए नही तो नोटा का बटन तो हैं ही ।  

दल बदलने की राजनीति – विचारधारा बनाम अवसरवाद

🎭 2. दल बदलना – विचारधारा या अवसरवाद?

नेता लोग पार्टी तो ऐसे बदल लेते हैं जैसे गिरगिट रंग बदलता हैं शायद उससे भी तेज । एक नेता आज मान लो काँग्रेस में हैं और पेट भर भर के बीजेपी वालों को गालियां निकालता हैं उनकी गलतिया निकालता हैं लेकिन कल वो न जाने कब बीजेपी में ही शामिल हो जाए पता नही चलता । मैंने दोनों को समान रख कर कह रहा हूँ बीजेपी वाले भी ऐसा कर सकते हैं । मैं तो सबको समान भाव से देखता हूँ भाई । मेरे लिए तो सब नेता एक जैसे ही हैं …………शब्द मैं बोलना नही चाहता ……….

मैं यहाँ नाम गिना सकता हूँ की जो रातों रात पार्टी बदल लिए और मैं सोचता हूँ यार कितने बड़े नाटकबाज़ हैं ये , जनता को क्या समझते हैं ये लोग ? 

मुझे सच में बहुत गुस्सा आता हैं ऐसे लोगों को देखकर , इनकी कोई विचारधारा ही नही हैं,  इनके अंदर कोई रीढ़ की हड्डी ही नही हैं । जमीर मर गया हैं इन लोगों का । सिर्फ सत्ता में बने रहने के लिए ये सौदेबाजी करते हैं । कल तक जिस पार्टी को बुरा भला कह रहे थे आज उसी पार्टी में शामिल हो गए । कैसे कर लेते हैं आप sir ji 😎

इससे साफ पता लगता हैं आज राजनीति समाज सेवा नही सिर्फ एक धंधा बनकर रह गई हैं तभी आजकल के युवा राजनीति में नही आना चाहते । डॉक्टर , इंजीनियर , वकील , जज , youtuber बन जाएंगे लेकिन नेता नही बनेगे । भाई हर कोई नही होता न अपना जमीर बेचने वाला । आखिरकार एक ऊंचे लेवल का बेशर्म ही ऐसा कर सकता हैं । 

 

📺 3. मीडिया और सोशल मीडिया का रोल

मीडिया का तो क्या ही कहना,  ahhhhhh क्या मीडिया हैं हमारे देश की । कोई अपने आप को सबसे तेज बोलता हैं कोई कहता हैं nation wants to know, कोई कहता हैं ” देश को रखे सबसे आगे ” कोई कहता हैं ” हम करेंगे देश की बात ” मतलब हर कोई देश के नाम पर अपना उल्लू सीधा करने में जी जान से लगा पड़ा हैं । 

आज हर मीडिया हाउस ने अपनी अपनी पार्टी पकड़ ली हैं और उसके नेता की ही इमेज को चमकाने का काम करती रहती हैं । बीजेपी कों  सपोर्ट करने वाले मीडिया हाउस काँग्रेस के नेता को पप्पू कहते हैं और काँग्रेस को सपोर्ट करने वाले मीडिया हाउस बीजेपी के नेता को फेकू चंद बोलते हैं । 

जनता की बात कौन स मीडिया करेगा । न तो प्रिन्ट मीडिया बचा हैं न इलेक्ट्रॉनिक मीडिया बचा हैं और सोशल मीडिया ने तो गंद मचा रखी हैं । मतलब सोशल मीडिया पर उलटे सीधे पोस्ट डालने वाले और कमेन्ट में गंदी गंदी गालियां लिखने वाले ये लोग भी तो आम जनता में से ही हैं । क्या इनको खबर हैं की ये लोग क्या कर रहे हैं ? क्या इनको पता नही की नेता कभी किसी का सगा नही होता । जिसकी तुम आज चमचा गिरी कर रहे हो कल को जब वो नेता सत्ता में नही रहेगा तुमको पूछेगा भी नही । 

सुधर जाओ भाई सुधर जाओ, इन नेता लोगों के चक्कर में अपना नाम खराब मत करो । मैंने तो यहाँ तक सुना हैं की एक ट्वीट करने के इन लोगों को 2 – 2 रुपए मिलते हैं । 2 रूपली के ये चमचे लोगों को न तो policies का कुछ पता होता हैं , न ये किसी मुद्दे की सच्चाई अच्छे से जानते हैं बस अपने नेता को ऊपर दिखाना हैं चाहे तुम्हारा नेता हो नालयक लेकिन उसकी इमेज चमकनी चाहिए । छोड दो भाई ये सब 

एक भीड़ खड़ी है — सबके चेहरे पर मास्क या पट्टी है, और कोई मुट्ठी भींचे खड़ा है, बाकी सब चुपचाप देख रहे हैं

🤐 4. जनता की चुप्पी भी दोषी है क्या? - वोट तो पड़ते हैं, पर सवाल नहीं पूछे जाते - “सब चोर हैं” कहकर बच निकलने वाली सोच - नेताओं की accountability की कमी

मीडिया ने तो सवाल पूछना बंद कर दिया हैं लेकिन जनता को क्या हो गया हैं ? चींटी जिस तरह भेड़ चाल में चलती हैं आज की राजनीति में भी जनता चींटी की तरह भेड चाल में चलती हैं । पड़ोसी फलाने नेता को वोट दे आया तो चलो हम भी उससे ही वोट दे आते हैं । आज इस नेता की लेहर हैं तो चलो हम भी इस नेता को वोट दे आते हैं । कभी 5 साल नेता ने क्या क्या काम किया क्या क्या वादे किये थे क्या उन सभी वादों को पूरा किया ? 

ये सब सवाल मीडिया हाउस से तो उम्मीद छोड दो की वो पूछेंगे अब जनता को ही आगे आकर कमान अपने हाथ में लेनी होगी नही तो ये नेता लोग ऐसे ही आम जनता का पैसा लूटते रहेंगे और विकास के नाम पर जनता को मिलेगा बाबाजी का ठलु । 

✊ निष्कर्ष: अब और कब तक चुप रहेंगे? - “राजनीति अगर सिर्फ सत्ता का सौदा बन गई है, तो हमें भी अपनी चेतना का व्यापार बंद करना होगा।”

भाई देखो मैंने अपने आर्टिकल में न तो किसी नेता को गाली बकी न ही कुछ उलट सीधा बोला राजनीति में जो कुछ चल रहा हैं उस पर अपने कुछ विचार व्यक्त किये । हो सकता हैं किसी को मेरे विचार पसंद आए हो किसी को न पसंद आए हो जोकि ठीक बात भी हैं क्योंकि यही तो लोकतंत्र की खूबसूरती हैं । 

मेरा मकसद आपको सिर्फ जगाना था , सच्चाई से अवगत कराना था अब आप कितना जागे हो कितने आपके ज्ञान के चक्षु खुले हैं पता नही ? 

सोचो विचार करो आज की राजनीति किस दिशा में जा रही हैं ? 

धन्यवाद 😎 

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