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ईरान-इजरायल युद्ध: अमेरिका के पिट्ठू या पेट्रोल की लूट? | कपिल अनप्लग्ड

ईरान-इजरायल युद्ध

अमेरिका ने 21 जून 2025 की रात ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया . अब ये सही किया या गलत किया दुनिया इसके बारे में जरूर तय करेगी। लेकिन मैं यहाँ कुछ सवाल उठाना चाहता हूँ जो मेरे मन में उठते हैं इन सभी परिस्थति को देखते हुए :

1. क्या ईरान को अपनी सैन्य शक्ति मजबूत करने का अधिकार नही हैं ?
2. क्या कभी ईरान ने इस्राइल पर परमाणु हथियार से हमला करने की बात कही ?
3. दुनिया का ऐसा कौन सा देश हैं जो परमाणु हथियार नही बना रहा ?
4. इस्राइल ने पहले ईरान पर हमला किया या ईरान ने इस्राइल पर ?
5. ईरान एक मुस्लिम कन्ट्री हैं क्या इसलिए उसे टारगेट किया जा रहा हैं ?

ये कुछ सवाल मेरे मन में उठते हैं जिनका जवाब मेरे पास नही हैं । लेकिन किसी के पास तो होंगे । आज के समय में सवालों के जवाब दिए नही जाते उन सवालों को दबा दिया जाता हैं । कहने को तो दुनिया में लोकतंत्र , democracy का डंका पीटा जाता हैं लेकिन आप खुद अपने आप से पूछो लोकतंत्र का निशान कही बचा भी हैं ।

अमेरिका का ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला : ईरान-इजरायल युद्ध

अमेरिका का ईरान पर हमला सीधा सीधा कुछ बातों की तरफ इशारा करता हैं । एक तो यह वो नही चाहता उसे छोड़कर कोई और देश महाशक्ति बने। अमेरिका फिर से वही अपनी पुरानी दादागिरी दुनिया पर दिखाना चाहता हैं बहाना चाहे कोई भी हों ।

इराक को तबाह किया ,अफगानिस्तान को तबाह किया, अमेरिका के राष्ट्रपति गाहे बगाहे दुनिया के तमाम देशों पर टैरीफ लगाने की धमकी देते हैं और लगा भी देते हैं । आखिर अमेरिका कौन होता हैं ये सुनिश्चित करने वाला की दुनिया कैसे चलेगी ?

क्या अमेरिका के पास परमाणु हथियार नही हैं ? क्या इस्राइल के पास परमाणु हथियार नही हैं ? एक तरफ डोनाल्ड ट्रम्प शांति की बात करते हैं दूसरी तरफ दूसरे देशों पर हमला करते हैं उन्हे डराते धमकाते हैं । ये किस तरह की शांति हैं ?

ईरान-इजरायल युद्ध

क्या ईरान हमला करेगा अमेरिका पर ?: ईरान-इजरायल युद्ध

क्या ईरान के पास इतनी ताकत हैं की वो सीधा अमेरिका पर हमला कर दे ? मुझे तो नही लगता । कुछ थोडा बहुत अमेरिका के जो air base हैं middle east में उन पर हमला कर दे तो कर दे उससे ज्यादा कुछ नही होने वाला । ये मेरी निजी राय हैं मैं कोई रक्षा विशेषज्ञ नही हूँ । लेकिन एक आम नागरिक होने के नाते जो महसूस करता हूँ वो बता रहा हूँ ।

ईरान के साथ कौन कौन से देश साथ में हैं ?: ईरान-इजरायल युद्ध

कहने को तो रूस, चीन मिडल पूर्वी के मुस्लिम देश साथ में है और रूस और चीन ने तो कहा भी था अमेरिका को की वो ईरान पर हमला न करे । लेकिन अब अमेरिका ने तो हमला कर दिया हैं ईरान पर अब रूस और चीन का क्या रुख रहेगा इस हमले पर ये देखने वाली बात होगी ।

रूस तो पहले से ही Ukrain के साथ युद्ध में पिछले 3 साल से युद्ध में उलझा हुआ हैं क्या वो एक और युद्ध में शामिल होगा ? चीन ने 1962 के बाद से कोई युद्ध नही लड़ा हैं चीन क्या कदम उठाएगा वक्त ही बताएगा ।

ईरान-इजरायल युद्ध

भारत का क्या रुख रहेगा इस हमले पर : ईरान-इजरायल युद्ध

भारत ने हमेशा Netural स्टैन्ड ही लिया हैं चाहे वो बात हो Russia – Ukrain war की या फिर Israel – hmaas की । अब अमेरिका के इस युद्ध में घुस जाने के बाद स्थिति थोड़ी गंभीर हो गई हैं । क्योंकि भारत का दोस्त इस्राइल भी हैं और ईरान भी । भारत की डिप्लोमसी की कड़ी परीक्षा होगी ।

क्या युद्ध जरूरी होता हैं ? : ईरान-इजरायल युद्ध

लोकतंत्र की हम बात करते हैं लोकतंत्र में संवाद सबसे ज्यादा जरूरी होता हैं । क्या बातचीत करके इस मुद्दे को सुलझाया नही जा सकता था । मैं एक विडिओ देख रहा था जिसमे दिखाया गया की इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू 1998 से इस बात को कहते आ रहे हैं की ईरान परमाणु हथियार बना रहा हैं ।

हम 2025 में हैं । इन 27 सालों में क्या कभी बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान के शीर्ष नेताओं से बात करने की कोशिश नही की । शायद बात की होती कोई बीच का रास्ता निकाला होता तो आज ये हालत नही होते । मुझे लगता युद्ध सबसे आखिरी कदम होता हैं ऐसा भगवान श्री कृष्ण ने भगवद गीता में कहा हैं । पहले हर मुद्दे को बातचीत से सुलझाना चाहिए । बातचीत करके समस्या का हल हो जाए तो युद्ध जरूरी नही हैं ।

लेकिन अब दुनिया की एक महाशक्ति इस युद्ध में घुस चुकी हैं हालांकि अमेरिका के इस हमले से ईरान के किसी नागरिक की जान नही गई हैं टारगेट सिर्फ परमाणु ठिकाने ही थे लेकिन फिर भी किसी देश पर हमला करना क्या सही बात हैं । अब वक्त ही बताएगा ये ईरान – इस्राइल का युद्ध किस तरफ जाएगा ?

मेरी राय : ईरान-इजरायल युद्ध

मेरी राय में तो युद्ध कोई जरूरी नही था क्योंकि ईरान ने कभी इस्राइल पर हमला करने की बात नही की वो भी परमाणु हथियार । अब ये इस्राइल की insecurity हैं या कोई और उदेश्य ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन युद्ध से किसी समस्या का हल नही निकलता बातचीत से ही निकलता हैं

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